लेखनी प्रतियोगिता -18-Mar-2023-जो बीत गया सो बीत गया
सर्वप्रथम माँ शारदे को नमन,
तत्पश्चात "लेखनी' मंच को नमन,
मंच के सभी श्रेष्ठ सुधि जनों को नमन,
कविता
विषय:- 🌹स्वैच्छिक🌹
शीर्षक -- "जो बीत गया सो बीत गया"
दिनांक -- १८.०३.२०२३
दिन -- शनिवार
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जो बीत गया सो बीत गया,
कुछ खोना है कुछ पाना है।
जो पाया उसका हर्ष ना कर,
जो खोया नहीं पछताना है।
जब हम जिन्दगी में आते हैैं,
मोह-माया में पड़ जाते हैं।
जो जिन्दगी को जान पाते हैं,
वो कभी शोक नहीं मनाते हैं।
मानव कितने अज़ीबोगरीब है,
जाने कितने ही कस्मे खाता है।
ठिकाना नहीं है अगले पल का,
रिश्ता सात जन्मों का निभाता है
जिन्दगी का एक अलग मंत्र है,
जो बीत गया है उसे बिसार दे।
जो आ रहा है तू स्वागत कर,
आने वाले का जीवन संवार दे।
पतझड़ के मौसम में पादप भी,
धैर्य रख तनिक नहीं घबराते हैं।
नये-नये कोपल बसंत ऋतु में,
नव श्रृंगार कर सज जाते हैं।
ये ज़िन्दगी तो एक रैन बसेरा है,
जम ना पाया किसी का डेरा है।
जो बीता वो जीवन की शाम है,
आने वाला जीवन का सवेरा है।
🙏🌷 मधुकर 🌷🙏
(अनिल प्रसाद सिन्हा 'मधुकर', जमशेदपुर, झारखण्ड)
(स्वरचित सर्वाधिकार ©® सुरक्षित)
नरसिंह हैरान जौनपुरी
19-Mar-2023 07:33 PM
Nice
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
19-Mar-2023 09:03 AM
बहुत ही सुंदर सृजन
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Varsha_Upadhyay
18-Mar-2023 07:29 PM
शानदार
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